बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे रेशम पे.. मोतियों में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।
पानियों में घुल्के जैसे..
रंग छलके छलके ऐसे..
पत्थरों में जीवन मिल गए ।
बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे नीली छत पे.. तारों में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।
होठों पे तेरे लाली उसपे..
खुशीयों की प्याली ऐसे..
बारिशों में गुल खिल गए ।
बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे मरमर पे.. रौशनी में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।
पानियों में घुल्के जैसे..
रंग छलके छलके ऐसे..
पत्थरों में जीवन मिल गए ।
बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे नीली छत पे.. तारों में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।
होठों पे तेरे लाली उसपे..
खुशीयों की प्याली ऐसे..
बारिशों में गुल खिल गए ।
बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे मरमर पे.. रौशनी में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।