Wednesday, June 6, 2012

boondein

बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे  रेशम  पे.. मोतियों में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।


पानियों में घुल्के जैसे..
रंग छलके छलके  ऐसे..
पत्थरों में जीवन मिल गए ।


बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे  नीली  छत  पे.. तारों में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।


होठों पे तेरे लाली उसपे..
खुशीयों की प्याली ऐसे..
बारिशों में गुल खिल गए ।


बूंदें.. जो दो हैं तेरी पलकों पे.. बिछी हों जैसे मरमर  पे.. रौशनी  में बदल गयीं ।
आसमां.. खुला है अब अरसे से.. बरसे अब बरसे रे.. किसी की अब रोक नहीं ।।